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संज्ञानात्मक प्रतिक्रियाएँ और कृत्रिम बुद्धिमता में हैं अपार संभावनाए: प्रो. अमृता यादव।

Published on: 27 Sep 2025

*संज्ञानात्मक प्रतिक्रियाएँ और कृत्रिम बुद्धिमता में हैं अपार संभावनाए: प्रो. अमृता यादव।*


इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय, मीरपुर के मनोविज्ञान विभाग द्वारा एक व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें संज्ञानात्मक मनोविज्ञान के वर्तमान अनुप्रयोगों और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा हुई। इस अवसर पर मनोविज्ञान की प्रख्यात शिक्षिका प्रोफूसर अमृता यादव ने मुख्य व्याख्यान दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत विभागाध्यक्ष डॉ. बिजेंद्र द्वारा स्वागत संबोधन से हुई। उन्होंने मख्य वक्ता प्रोफेसर अमृता यादव का हार्दिक अभिनंदन किया और उपस्थित संकाय सदस्यों तथा छात्रों का स्वागत किया।

प्रोफेसर अमृता यादव ने कहा, “संज्ञानात्मक मनोविज्ञान हमें यह समझने में मदद करता है कि इंसान कैसे सोचता है, सीखता है और निर्णय लेता है। यही समझ भविष्य की तकनीक और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को नए आयाम दे सकती है।” उन्होंने विस्तार से बताया कि “आज इसका प्रभाव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, शिक्षा, संगठनात्मक प्रबंधन और मानसिक स्वास्थ्य तक देखा जा सकता है। शिक्षा के क्षेत्र में यह छात्रों की सीखने की क्षमताओं और स्मृति को बेहतर बनाने में सहायक है, वहीं मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में यह अवसाद, चिंता और अन्य विकारों के उपचार हेतु नए दृष्टिकोण प्रदान करता है। तकनीकी क्षेत्र में भी संज्ञानात्मक मनोविज्ञान के सिद्धांत मानव-सदृश रोबोट, स्मार्ट वर्चुअल असिस्टेंट और निर्णय-निर्धारण प्रणालियों के विकास में आधारशिला का कार्य कर रहे हैं। आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र समाज को गहराई से प्रभावित करेगा और व्यक्ति के व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएगा।” संज्ञानात्मक मनोविज्ञान आने वाले वर्षों में न केवल शैक्षणिक अनुसंधान बल्कि समाज के हर पहलू में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखता है।

कार्यक्रम के अंत में डॉ. संदीप कुमार ने मुख्य अतिथि का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर संकाय सदस्य डॉ. सतीश कुमार और रोहित कुमार सहित विभाग के सभी छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे।